२००९ की वसंत कविताएँ |
१ |
ओमप्रकाश तिवारी |
आयो बहार (दो छंद) |
२ |
कमल किशोर
भावुक |
ऋतुराज
आ गए (छंद) |
३ |
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दो
मधुमास मुक्तक |
४ |
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बसंत गीत |
५ |
कुसुम सिन्हा |
आया है वसंत
सखि |
६ |
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वसंत फिर
आने वाला है |
७ |
जीतेन्द्र चौहान |
वसंत
का नया शास्त्र |
८ |
तेजराम शर्मा |
पहाड़ पर
बसंत |
९ |
निर्मल गुप्ता |
शब्द
सफ़ेद पाखी और पीली तितलियाँ |
१० |
मधुलता अरोरा |
जादूगर वसंत |
११ |
महेन्द्र भटनागर |
बसंत आ गया (गीत) |
१२ |
महेश चन्द्र गुप्त ख़लिश |
आना वसंत
का |
१३ |
मानोशी चैटर्जी |
सखि वसंत आया |
१४ |
यतीन्द्र राही |
आएँगे ऋतुराज
(दोहे) |
१५ |
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आए हैं पाहुन
वसंत के |
१६ |
डॉ. रमा द्विवेदी |
प्रीत से
नहाई है |
१७ |
राकेश खंडेलवाल |
बसन्ती बही फिर हवा |
१८ |
राजेन्द्र शुक्ल राज |
बसंती पवन |
१९ |
रामनारायण त्रिपाठी पर्यटक |
जब आया
मधुमास (दोहे) |
२० |
विनय जोशी |
बसंत आमंत्रण |
२१ |
श्यामल सुमन |
वसंती हवा |
२२ |
शशि पाधा |
वसंतागमन |
२३ |
शार्दूला |
वसंत आएगा |
२४ |
शास्त्री नित्यगोपाल कटारे |
देखो वसंत आ
गया |
२५ |
सरस्वती माथुर |
दो फागुनी आकांक्षाएँ |
२६ |
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आया
है फागुन |
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२००८
की वसंत कविताएँ |
१ |
एक गीत बसंत के स्वागतार्थ |
डॉ. अली अहमद अब्बास उम्मीद |
२ |
केसर चंदन चाँदनी |
राजनारायण चौधरी |
३ |
छाया वसंत |
मानसी चैटर्जी |
४ |
जब बसंत ऋतु
जागी |
सावित्री तिवारी आज़मी |
५ |
जश्ने
बहारां आएगा |
चाँद हदियाबादी |
६ |
प्रीत लोक |
डॉ. अश्वघोष |
७ |
फागुन
हँसता |
डॉ. गोपाल बाबू शर्मा |
८ |
बसंत |
अमरपाल सिंह |
९ |
बसंत |
हेम ज्योत्स्ना |
१० |
बसंत
आएगा |
स्वप्निल श्रीवास्तव |
११ |
बसंत में |
प्राण शर्मा |
१२ |
बिना टिकट
के गंध लिफ़ाफ़ा |
इसाक अश्क |
१३ |
मधुमास में |
प्राण शर्मा |
१४ |
मौसम बसंती |
आशा जोगलेकर |
१५ |
वसंत |
उदय प्रकाश |
१६ |
वसंत |
सुरेश ऋतुपर्ण |
१७ |
वसंत का एक
दिन |
त्रिलोचन |
१८ |
वसंत सी तुम |
अनिल जनविजय |
१९ |
वासंती-दोहे
|
गिरीश बिल्लोरे मुकुल |
२० |
सीधी है
भाषा बसंत की |
त्रिलोचन |
२१ |
सुन
ले सखि |
अविनाश वाचस्पति |
|
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२००७ की वसंत कविताएँ |
१ |
आज होली है |
नरेंद्र नाथ टंडन ''साहिल लखनवी'' |
२ |
आया है
फागुन |
आया है फागुन |
३ |
ऋतु फगुनाई है |
डॉ. इसाक अश्क |
४ |
गिरगिट |
श्यामल सुमन |
५ |
दस्तख़त पलाश के |
बृजनाथ श्रीवास्तव |
६ |
दोहे फागुन के |
डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ''यायावर'' |
७ |
प्रत्यंचा टूट गई |
कैलाश पचौरी |
८ |
फाल्गुन का गीत |
डॉ. ओमप्रकाश सिंह |
९ |
फूले
फूल पलाश |
नचिकेता |
१० |
बरसे उन्माद फुहार |
दिव्यांग पुरोहित |
११ |
बोलो
बसन्त! तुम कब आओगे? |
मंजु महिमा भटनागर |
१२ |
रंगों का त्यौहार |
पवन शाक्य |
१३ |
वन में फूले ढाक, ओ पिया! |
श्रीकृष्ण शर्मा |
१४ |
वासंती धूप |
कृष्णा नंद कृष्ण |
१५ |
होली की उमंग |
नीलम जैन |
१६ |
होली के दोहे |
सुनील जोगी |
१७ |
होली के तीन छंद |
आदित्य शुक्ल |
१८ |
होली में |
जगदीश प्रसाद सारस्वत ''तैयब'' |
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२००१
की वसंत कविताएँ |
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१ |
आए महंत वसंत |
सर्वेश्वर दयाल
सक्सेना |
२ |
आकुल वसंत |
डॉ सुरेशचंद्र शुक्ल |
३ |
आज हैं केसर रंग रंगे वन
|
गिरिजा
कुमार माथुर |
४ |
आमंत्रण |
केशरी नाथ त्रिपाठी |
५ |
इन ढलानों पर |
मंगलेश डबराल |
६ |
एक गीत और कहो |
पूर्णिमा वर्मन |
७ |
ऋतु का
शृंगार है |
भगवत शरण श्रीवास्तव 'शरण |
८ |
ऋतुओं में न्यारा वसंत |
महादेवी वर्मा |
९ |
ऋतुराज आ गया |
अज्ञेय |
१० |
कभी कभी |
निर्मला वर्मा |
११ |
काश मिलो तुम भी |
सुमन
कुमार घेई |
१२ |
कोकिला |
लावण्या |
१३ |
गीत वसंत के |
अश्विन
गांधी |
१४ |
घरौंदा |
डॉ.
सरस्वती माथुर |
१५ |
जाने क्या बात हुई |
इंदिरा परमार |
१६ |
देह का संगीत |
अनूप
अशेष |
१७ |
धरती के इस क्षणिक कंप से |
ज्ञानराज माणिकप्रभु |
१८ |
पाहुन है रसराज |
शिवप्रसाद 'कमल' |
१९ |
फगुनाया-सा मन |
उषा चौधरी |
२० |
फागुन मचा है |
डॉ. हरिमोहन |
२१ |
फागुन में |
डॉ. हरीश निगम |
२२ |
फागुनी आँगन |
डॉ. सरस्वती माथुर |
२३ |
फूल फूल कर फूल रहे हैं |
बुद्धि प्रकाश पारीक |
२४ |
बसंत |
सोहनलाल द्विवेदी |
२५ |
बसंत (२) |
दिव्या माथुर |
२६ |
बसंती हवा |
केदारनाथ अग्रवाल |
२७ |
बहार |
दिव्या माथुर |
२८ |
बादल लिए गुलाल |
शिवनारायण सिंह |
२९ |
भँवरा |
दिव्या माथुर |
३० |
मधुगीत |
रामेश्वर शुक्ल अंचल |
३१ |
महुए की डाली पर उतरा वसंत |
डॉ. अजय पाठक |
३२ |
वसंतागम |
प्रभाकर माचवे |
३३ |
वसंत आ गया |
अज्ञेय |
३४ |
वसंत |
सुमित्रानंदन पंत |
३५ |
वसंत आया |
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |
३६ |
वसंत गीत |
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी |
३७ |
वसंत घर आ गया |
कन्हैयालाल नंदन |
३८ |
वासंती दोहे
|
गोविंद अनुज |
३९ |
वासंती वैभव
|
मीनाक्षी धन्वंतरि |
४० |
वीरों का कैसा हो बसंत
|
सुभद्रा कुमारी चौहान |
४१ |
शाम रच गई
|
माहेश्वर तिवारी |
४२ |
साँझ फागुन की
|
रामानुज त्रिपाठी |
४३ |
सेमल के गाँव में
|
डॉ. शीला मिश्रा |