वसंती हवा

दो वसंत कविताएँ
--दो कवि

 

वसंत

रेलगाड़ी आती है
और बिना रुके चली जाती है
जंगल में
पलाश का एक गार्ड
लाल झंडियाँ दिखाता रह जाता है।

-- उदय प्रकाश
११ फरवरी २००८


 

 

 

वसंत

वसंत से वसंत की राह में
एक पड़ाव है पतझर
राही ऋतु-चक्र थक कर
सुस्ताता है जहाँ पल-भर
वसंत के लालच में
जिसने ठुकराया पतझर
जीवन उसका निष्फल
वंचना-भर!

-सुरेश ऋतुपर्ण

११ फरवरी २००८

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