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होली हम भी मनाते हैं
और हमारे रहनुमा भी मनाते हैं।
लेकिन दोनों के होली में फ़र्क है
जिसके लिए प्रस्तुत यह तर्क है।।
सब जानते हैं
कि होली रंगों का त्योहार है।
एक दूसरे के चेहरे पर
रंग लगाने का व्यवहार है।
रंगों में असली चेहरा
कुछ देर के लिए छुप जाता है।
पर अफ़सोस ऐसा दिन हमारे लिए
साल में बस एकबार ही आता है।।
लेकिन हमारे रहनुमा
पूरे साल होली मनाते हैं।
बिना रंग लगाए सिर्फ़ रंग बदलकर
अपना असली चेहरा छुपाते हैं।।
देखकर इन रहनुमाओं की
रंग बदलने की रफ़्तार।
गिरगिटों में छाई बेकारी
और वे करने लगे आत्महत्या लगातार।।
1 मार्च 2007
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