शीत ऋतु में इक दिन तुमने
हाथ थाम कर कह डाला प्रिये
वासंती कोई गीत सुनाओ!
मुझ से कैसा आग्रह सुनो ये,
झूले मधु रागों के डालो,
मधुमास गीत खुद ही गाएगा!
उष्मा पा जिन से वारि बन
हिम धरती पर ढुलक आता है
नीरद, नीरज, नील-नयन, नख में
कांति बन घुल जाता है,
वो कर्मठ बाहें फैलाओ,
ऋतुराज झूमता आ जाएगा!
केश घटा सम बाँधो
या तुम
लिखो सूर्य को नेह निमंत्रण
आँचल ममता का लहराओ
बिसरे पुरवा का
सकल नियंत्रण प्रेम-सुधा, आग्रह, लाड़ पा
बालक बन बसंत आएगा!
अपने सुख से पहले
रख दो औरों का हित प्रिये
खिल जाएँगे पुष्पों के दल
गाएगी कोकिला मीठी तान
पा स्नेहिल स्पर्श, आलिंगन
आम्र मंजरित हो जाएगा!
मन की सुन्दरता छिड़काओ
गंग धुला वसंत आएगा!!
९ फरवरी २००९ |