झूमे डाल लद फूलों से अंग
झर-झर झर रहा सुनहरा रंग
सजी धरा बन पीली दुल्हन
छाया वसंत सखी आया वसंत
पी के प्रेम कोयल मतवारी
मदहोश बिरही कूकती हारी
बौर आम के जो फैली सुगंध
छाया वसंत सखी आया वसंत
पीली चुनरी धूप थिरके अंग
सरसों की बाली डोले है संग
रूप देख सुंदर लजाई ठंड
छाया वसंत सखी आया वसंत
लाल पलाश बिछे धरा बिछौना
उड़े गुलाल सजे रंग सलोना
रंगों की बयार है चली अनंत
छाया बसंत सखी आया वसंत
११ फरवरी २००८
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