कलियों को बनते सुमन मधुमास में
देखिए कुदरत का फन मधुमास में
ख़ुशबुएँ ही ख़ुशबुएँ हैं हर तरफ़
क्यों ना इतराए चमन मधुमास में
धरती दुल्हन लगती है हर एक पल
दूल्हा लगता है गगन मधुमास में
छेड़खानी करता है हर फूल से
कितना नटखट है पवन मधुमास में
कब भला महसूस होती है थकन
चुस्त हर एक का है मन मधुमास में
क्यों ना मोहे हर किसी को आप ही
प्राण धरती की फबन मधुमास में
११ फरवरी २००८
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