सीधी है भाषा बसंत की --त्रिलोचन
सीधी है भाषा बसंत की
कभी आँख ने समझी कभी कान ने पाई कभी रोम-रोम से प्राणों में भर आई और है कहानी दिगंत की
नीले आकाश में नई ज्योति छा गई कब से प्रतीक्षा थी वही बात आ गई एक लहर फैली अनंत की
११ फरवरी २००८
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