मेंहदी के रंग लिए
आया है फागुन
शहरों और गाँवों में
छाया है फागुन
जीवन में रस को
टटोल रहा फागुन
पनघट चौपालों में
डोल रहा फागुन
रंगों में डूबे हैं
संगी और साथी
भांग कोई साँसों में
घोल रहा फागुन
तितली के रंग लिए
आया है फागुन
टेसू के रंगों से
बोल रहा फागुन
होली के खिले रंग
अबरक गुलाल संग
छाया है सभी अंग
फागुन ही फागुन
९ फरवरी २००९ |