घर में वो मेरे देखिए आए बसंत में
खुशियाँ हज़ार साथ में लाए बसंत में
मस्ताना मेरे मन को बनाए बसंत में
घूँघट वो अपने मुख से हटाए बसंत में
रस से भरे तराने सुनाए बसंत में
किस प्यार से मुझे वो बुलाए बसंत में
जैसा वो प्यारा नाच नचाए बसंत में
वैसा कोई तो नाच दिखाए बसंत में
में क्यों ना गाऊँ झूम के ऐ संगी साथियों
साजन भी मेरा झूम के गाए बसंत में
अठखेलियाँ बसंती पवन-सी हैं सब उसकी
वो सारी-सारी रात जगाए बसंत में
तारीफ़ के दो शब्द भला क्यों ना
मैं कहूँ
उसका बसंती रूप लुभाए बसंत में
ऐ प्राण उसकी ऐसी हैं पहुनाइयाँ सभी
सर आँखों पर वो मुझको बिठाए बसंत में
११ फरवरी २००८
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