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मन में उमंग
पिया प्रीत रंग
आ खेलें घुलमिल होली
लिपटा फाल्गुन
धरती के अंग
टेसू गुलाल रंगोली
टोली निकली
जैसे जलतंरग
रीत मीत हमजोली
अल्हड़ मस्ती
गुलनार रंग
शरमाई जब-जब बोली
बहकी पवन
सखियों के संग
चंचलता गलियों डोली
भीगी चुनरी
छलका सतरंग
किरणें करें ठिठोली
गीत रास
होली के ढंग
पावन हृदय की बोली
1 मार्च 2007
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