वसंती हवा

होली की उमंग
नीलम जैन

 

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मन में उमंग
पिया प्रीत रंग
आ खेलें घुलमिल होली
लिपटा फाल्गुन
धरती के अंग

टेसू गुलाल रंगोली
टोली निकली
जैसे जलतंरग
रीत मीत हमजोली
अल्हड़ मस्ती
गुलनार रंग

शरमाई जब-जब बोली
बहकी पवन
सखियों के संग
चंचलता गलियों डोली

भीगी चुनरी
छलका सतरंग
किरणें करें ठिठोली
गीत रास
होली के ढंग
पावन हृदय की बोली

1 मार्च 2007

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