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धूप मजूरिन |
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सूरज उगते ही आ जाती
नित्य काम पर
धूप मजूरिन
पूरे दिन
खटती रहती
है
तनिक विराम नहीं करती है
संझबेला होने पर थक कर
घर को जाती
धूप मजूरिन
हर छिन
कड़ी नजर के
नीचे
बिन बोले ओंठों को भींचे
भू की ओर मुँह किये रहती
लगी काम काम में
धूप मजूरिन
नहा पसीने
से जाती
है
तेज ताप में तप जाती है
पाँव झुलस जाते भूघर में
पर, श्रम करती
धूप मजूरिन
भूख प्यास
पूछता न
स्वामी
बँधुआ जीवन कठिन गुलामी
ऊपर से मौसम की मारें
सब कुछ झेले
धूप मजूरिन
उर में आग
सुलगती
रहती
उसके तन मन दहती रहती
जेठ क्वार में भड़क विप्लवी
ज्वाला बनती
धूप मजूरिन
- मलखान सिंह
सिसौदिया
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इस माह
ग्रीष्म ऋतु के स्वागत में
महोत्सव मनाएँगे
और पूरे माह हर रोज एक नया
ग्रीष्म गीत मुखपृष्ठ पर सजाएँगे।
रचनाकारों और पाठकों से आग्रह है
आप भी आएँ
अपनी उपस्थिति से
उत्सव को सफल बनाएँ
तो देर किस बात की
अपनी रचनाएँ प्रकाशित करना शुरू करें
कहीं देर न हो जाय
और ग्रीष्म का यह उत्सव
आपकी रचना के बिना ही गुजर जाए
पता ऊपर दिया ही गया है
ईमेल करें या हमारे फेसबुक समूहों में रचना प्रकाशित
करें...
गीतों में-
पिछले माह
होली
के अवसर पर
गीतों में-
अनिल कुमार वर्मा,
अनिल कुमार मिश्र,
अमिताभ त्रिपाठी,
अलका प्रमोद,
अवनीश त्रिपाठी,
आकुल,
उमा प्रसाद लोधी,
ऋता शेखर मधु,
ओम प्रकाश नौटियाल,
कल्पना मनोरमा,
कुमार गौरव अजीतेन्दु,
कृष्ण भारतीय,
गरिमा सक्सेना,
गीता पंडित,
जगदीश पंकज,
निर्मल शुक्ल,
निशा कोठारी,
पंकज परिमल,
ब्रजनाथ श्रीवास्तव,
बसंत कुमार शर्मा,
भावना तिवारी,
मधु प्रधान,
मधु शुक्ला,
मनीषा शुक्ला,
मानोशी चैटर्जी,
योगेन्द्र प्रताप मौर्य,
रंजना गुप्ता,
रमेश प्रसाद सारस्वत,
राजा अवस्थी,
राहुल शिवाय,
राममूर्ति सिंह अधीर,
विश्वम्भर शुक्ल,
शशि पाधा,
शिव जी श्रीवास्तव,
शिवानंद सिंह सहयोगी,
श्रीधर आचार्य़ शील,
शैलेष गुप्त 'वीर',
संजीव सलिल,
सरस्वती माथुर,
सीमा हरि शर्मा,
सुरेन्द्र कुमार शर्मा,
सुरेन्द्र पाल वैद्य,
सौरभ पांडेय,
हरिवल्लभ शर्मा,
त्रिलोचना कौर,
ज्ञानप्रकाश आकुल,
ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान'।
छंदों में-
ज्योतिर्मयी पंत,
परमजीत कौर रीत,
प्रदीप शुक्ल,
मंजु
गुप्ता,
शशि पुरवार,
सरस दरबारी,
सुबोध श्रीवास्तव।
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