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शीत अब विदा
हो रही, स्वागत है मधुमास
होली का त्योहार भी, आ पहुँचा है पास
आ पहुँचा है पास,करें मिल सब तैयारी
रंग अबीर गुलाल, साथ व्यंजन हैं भारी
पी ठंडाई भाँग,नाच गा रहे गीत अब
भीगें रँग पिचकार,हो रही विदा शीत अब
होली के त्योहार में, मस्ती होती खूब
बुरा न मानें लोग भी, स्नेह रंग में डूब
स्नेह रंग में डूब, भूल कर पिछली बातें
रंग लगाके भाल, सभी को गले लगाते
ढोल मजीरे साथ, नाचती गाती टोली
गली गली में धूम, मचाते खेलें होली
होली का ये पर्व है, रंगों का त्योहार
नेह प्रेम आदर भरा, आशीषों के हार
आशीषों के हार, परस्पर प्यार बढ़ाए
रिश्तों में शुचि रंग, यही परवान चढ़ाए
सुख दुख में हों साथ, भाव हो इक टोली का
भेद भाव को भूल, मनाएँ पर्व होली का
त्योहारों के मूल में, होती कथा अनेक
सीख सिखाने लोक हित, बढ़ता बुद्धि-विवेक
बढ़ता बुद्धि-विवेक, हारती सदा बुराई
बचा भक्त प्रहलाद, अग्नि होलिका जलाई
सदा सुझाते राह, सच्चरित व्यवहारों के
ऊर्जा संग आनन्द, मूल में त्योहारों के
फागुन के इस पर्व में, अजब खुशी के रंग
गाल -भाल रंग के सभी, हँसते गाते संग
हँसते गाते संग, सभी से करें ठिठोली
पिचकारी के रंग, रचें सतरंग रँगोली
पहचाने अब कौन, चेहरे निज पाहुन के
रंग भाँग में डूब, पर्व में इस फागुन के
- ज्योतिर्मयी पंत
१ मार्च २०१८ |