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लेकर आई है
खुशियों की
नव उमंग होली
है बसंत का मौसम फूल खिले उपवन-वन में
रंग-रंग की आभा फैली भू के आँगन में
फूलों के सँग खेल रहा
जमकर अनंग होली
साफ़ हो रही गली-बस्तियाँ है उल्लास नया
हास्य, मधुर पकवान परोसे है विश्वास नया
खूब रच रही नई दोस्ती का
प्रसंग होली
सरहद पर वीरों का भाल सजाने वाली है
और कहीं होली प्रिय को अपनाने वाली है
लाठी से बरसाना खेले
बिरज संग होली
होली उसके घर भी जिसके पास गुलाल नहीं
होली उसके घर भी जिसका झुकता भाल नहीं
रंगती सारे भेद भुलाकर
अंग-अंग होली
- राहुल शिवाय
१ मार्च २०१८ |