कर लेना
मनमानी करने का तुमको अधिकार
सुन तो लो आखिर क्या कहता
होली का त्यौहार
दोनों घर
बर्बाद बिके दोनों के बैल-जुआ
नाली और मेंढ़ का लफड़ा अब तक तय न हुआ
दोनों हाथ गुलाल उठाकर
देखो तो इस बार
कैसा यह
परिवार कि घर में चूल्हे हटे-हटे
संग-संग जो बढ़े-पले अब रहते कटे-कटे
ऐसा रंगों निकल ही जाएँ
मन के सभी गुबार
सिर्फ तुम्हें
रंगने की खातिर सबको रंग डाला
हाथ छुडाकर जा न सकोगे मैं हूँ मतवाला
सबसे पक्का रंग प्यार का
बाकी सब बेकार
- ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान'
१ मार्च २०१८ |