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फागुन का मौसम आया है

तुम आए तो प्रियतम आई
मेरी होली

बाट देखते खुशियों का मन था यह गुमसुम
जबतक नहीं बसंत जगाने आए थे तुम
तुम आए तो हुई सुहावन
हँसी-ठिठोली

छुवन, चिकोटी, आलिंगन ये मीठी बातें
गुझिया, मालपुआ जैसी प्रिय हैं सौगातें
तुमने खुशियों से भर दी है
मेरी झोली

टेसू जैसे लाल, माँग की चमक बढ़ी है
प्रीत भांग के जैसे सिर पर आज चढ़ी है
जबसे पिचकारी से तुमने
रँग दी चोली

- गरिमा सक्सेना
१ मार्च २०१८

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