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१.
वह आए पग धरूं उछाल
देखो गाल हो गए लाल
आँगन, द्वारे बिछी रँगोली
क्या सखि साजन?
न सखी ' होली '
२.
उसके बोल लगें कुछ ऐसे
मुझे बुलाए कोई जैसे
मन हौले से जाता डोल
क्या सखि प्रेमी?
न सखी ' ढोल '
३.
जब भी वह होली में आए
पूरी महफ़िल पर छा जाए
दिखता बस मस्ती का रंग
क्या सखि साजन?
न सखी 'भंग'
४.
वह आए सर्दी कुम्हलाय
गरमी आने में सकुचाय
बजने लगे मुहब्बत की धुन
क्या सखि साजन?
न सखी 'फागुन'
५.
छूट गया है उससे नाता
पर अब भी वह मुझे लुभाता
कहना उससे कारे काग
क्या सखि प्रेमी?
न सखी ' फाग '
- प्रदीप शुक्ल
१ मार्च २०१८ |