चलो मिल कर
सभी खेलें
नया ही फाग होली में
दिलों का मैल भी धुल जाय
अब इस बार होली में
मनों की खाइयाँ पाटें
दिलों के फासले काटें
हमारे भेद सब मिट जाएँ
कोहरे धुंध भी छट जाएँ
घृणा पर प्रेम का सेतु
बनायें आज होली में
भुलाकर वैर सारे हम
हाथ लें प्रेम के सब रंग
सभी बिछुड़े भी मिल जायें
हृदय टूटे भी जुड़ जायें
प्रीत की छेड़ दें सरगम
नई इस बार होली में
- सुरेन्द्र कुमार शर्मा
१ मार्च २०१८ |