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फागुन आया
री सखी, फूलों उडी सुगंध
बौराया मनवा हँसे, नेह सिक्त अनुबंध
मौसम में केसर घुला, मदमाता अनुराग
मस्ती के दिन चार है, फागुन गाये फाग
हरी भरी सी वाटिका, मन चातक हर्षाय
कोयल कूके पेड़ पर, आम सरस ललचाय
सुबह सबेरे वाटिका, गंधो भरी सराय
गर्म गर्म चुस्की भरी, पियें मसाला चाय
होली की अठखेलियाँ, मस्ती भरी उमंग
पकवानों में चुपके से, चढ़ा भंग का रंग
सूरज भी चटका रहा, गुलमोहर में आग
भवरों को होने लगा, फूलों से अनुराग
हल्दी के थापे लगे, मन की उडी पतंग।
सखी सहेली कर रहीं, कनबतियाँ रस-रंग
सड़कों के दोनों तरफ, गंधों भरा चिराग
गुलमोहर की छाँव में, फूल रहा अनुराग
- शशि पुरवार
१ मार्च २०१८ |