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फाग-बधावे
गा रहा, झूम-झूमकर ढोल
घूमर, चंग, धमाल सँग,, थिरक रहे हैं बोल
थिरक रहे हैं बोल, फाग की मस्ती छाई
थोड़ी-थोड़ी भाँग, पिलाना सबको भाई
रँग में पड़े न भंग, सँभलना, कहता जावे
झूम-झूमकर ढोल, गा रहा फाग-बधावे
होली में यह कामना, पूरी हो इस बार
पाप होलिका में जलें, पुण्य करें विस्तार
पुण्य करें विस्तार, सत्य-शिव-सुंदर जय हो
प्राणी हो निष्पक्ष, न निर्दोषी को भय हो
अंतस में अनुराग, मधू रखना बोली में
मधुर-मधुर रस घोल, 'रीत' अबके होली में
कान्हा जैसा हो गया, जब से राधा-रंग
तू ही तू बस हर जगह, 'मैं' से रही न जंग
'मैं' से रही न जंग,,जगत के नाते टूटे
चढ़ा रंग बस श्याम, औ' रंग सारे छूटे
बस कान्हा के नाम, हो गया जीवन ऐसा
दुख-सुख हुए समान, लगे सब कान्हा जैसा
- परमजीत कौर 'रीत'
१ मार्च २०१८ |