|
होली के हर
रंग में
भरना होगा यह संज्ञान
बदरंग ना होगा जीवन का
कोई भी सोपान
नई सुबह सूरज की किरणें
नव ऊर्जा भर जाएँ
डग-मग पग-पग सँभले शावक
फिर चलने लग जाएँ
जीवन है चलने का नाम
रुकना हार समान
उत्साव, त्यो हारों, पर्वों पर
मेल बढ़ाना होगा
मलिन, कलुष, विद्वेष, अहं की
होली जलाना होगा
किंचित् भी यदि सोच सके हम
नारी का उत्थान
घिरे समस्याथओं से ढेरों
स्वेयं सँभलना होगा
कौन करेगा हाली किसकी
ख़ुद ही जुतना होगा
दे आहुति होली में दृढ़
संकल्पत ले हर इंसान
- आकुल
१ मार्च २०१८ |