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आने वाली है होली
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संदेश बाँचती फुदक रही है
होकर कोयल मतवाली!
मन की गाँठें खोल के रखना
आने वाली है होली!!
जब से यह वसंत आया है
मचल-मचल मन भागा
चुभन भरी फगुनाहट से
वह व्याकुल होकर जागा
चिरई-चिरगुन चहकाते है
भिनसारे की बोली!!
ललछौंहन आकाश बताता
है सूरज आयेगा
महुआ संग फगुआ की बातें
सबको बतलायेगा
पक्का रंग बनाने देगा
टेसू भर भर झोली!!
कड़क नगाड़े, ढोल-मजीरे
बुला रहे हैं होली को
पास फटकने कभी न देना
भेदभाव की बोली को
रंग, अबीर, गुलाल प्रेम का
चंदन, कुमकुम, रोली!!
नयी उमंगों से सब खेलें
होली अपने जीवन में
हरियाली की अमर लता
लहराये हरदम मन में
समृद्धि के पूर्ण कलश से
द्वार सजेगी रंगोली!!
- श्रीधर आचार्य "शील"
१ मार्च २०१८ |
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