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रंग मिलाएँ

होली के रंगों में हम भी
अपने रंग मिलाएँ

हर टहनी पर नई कोंपलें
कोमल कोमल फूट रही हैं
जैसे अभी अभी अलसाई
अपनी आँखें खोल रही हैं

नव प्रभात की शुभ वेला में
हम भी मन मुसकाएँ

कड़वी बातें सभी भुलाकर
तालमेल आपस में कर लें
स्नेह भरे मधु स्वप्न खुशी के
जीवन के हर पल में बुन लें

बीते कल की कटु स्मृतियाँ अब
कभी नहीं आ पाएँ

मधुर गंध से भरा हुआ है
प्रकृति का हर कोना सुन्दर
छटा मदभरी हर डाली की
नव आभा से रही है निखर

फागुन की मस्ती लेकर हम
गीत खुशी के गाएँ

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१ मार्च २०१८

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