रंग धरा के
बहके बहके
फागुन के इस मौसम में
भीगी - भीगी प्रीत चुनरिया
कृष्ण सजीले मस्त मुरलिया
सजल विकल कजरारे नैना
राधा है वृंदावन में
फाग राग संग बाजे चंग
ढोल मंजीरे ताशे मृदंग
सतरंगी आह्लाद छलकता
रंग बिखर गये आँगन में
उडा गुलाल पलाश खिले
मन से मन के तार मिले
कोयल छेड़े राग रागिनी
भंग पिलाई साजन ने
- डॉ. सरस्वती माथुर
१ मार्च २०१८ |