पवन करे
बरजोरी
बुलाए पिया खेले होरी
एक उम्र की देह तपी है
पवन प्यालियों भंग नपी है
उस पे राधा
गोरी - गोरी
बौराया है मौसम मद में
रहे नहीं अब अपनी हद में
चोरी - चोरी
छेड़े छोरी
फूल पलाशी दहक रहे हैं
सपने मन में महक रहे हैं
गाल हुए हैं
रोरी - रोरी
एक तरफ हैं खुली किताबें
जीवन की गढ़तीं महराबें
इन सपनों की
बाँध दतोरी
- राजा अवस्थी
१ मार्च २०१८ |