तुमने मुझे पुकारा होगा
दिल मेरा धड़का ज़ोरों से, तुमने मुझे पुकारा
होगा,
याद मेरी जब आई होगी, मेरा चित्र निहारा होगा।
साथ बिताई स्वर्णिम घड़ियाँ, नयन में भर बैठी
होगी,
बेचैनी का आलम होगा, मेरा पत्र सहारा होगा।
घर में बैठी रहती होगी, कहीं बलम न आ जाएँ,
चेहरा बेरौनक-सा होगा, आँख में पानी ख़ारा होगा।
दरवाज़े पर दस्तक देने जब भी हवा आई होगी,
तुम समझी होगी मैं आया, झटपट रूप सँवारा होगा।
हर आते-जाते बादल से हाल कहा होगा अपना,
साजन बिन है मन बंजारा, हर मौसम आवारा होगा।
24 दिसंबर
2004
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