हम बंजारे
हम बंजारे।
हम बंजारे।
युगों-युगों से भटक रहे हैं मारे-मारे।
एक जगह पर रहना नहीं हमारी किस्मत,
एक जगह पर टिकना नहीं हमारी फ़ितरत,
हमको प्यारे खुला आस्माँ चाँद-सितारे।
हम बंजारे।
हम बंजारे।
नफ़रत नहीं किसी के लिए हमारे दिल में,
इज़्ज़त हर मज़हब के लिए हमारे दिल में
सारी दुनिया को हमने अपना माना रे।
हम बंजारे।
हम बंजारे।
रात अमावस की हो या हो पूरनमासी
हलवा-पूरी हो या हो फिर रोटी बासी
हम ने तो हर हाल में है जीना सीखा रे।
हम बंजारे
हम बंजारे
बर्फ़ीला परबत हो या हो तपता मरुथल
बंजर धरती हो या हो हरियाला जंगल
धरती के हर रंग को है हमने जाना रे।
हम बंजारे।
हम बंजारे।
सावन की हो झड़ी या हो पतझड़ का डेरा
लू चलती हो या हो कोहरे भरा सवेरा
हर मौसम से रहता अपना याराना रे।
हम बंजारे
हम बंजारे
कभी-कभी मन में ख़याल आ ही जाता है,
घर न होने का अहसास रुला जाता है,
पता-ठिकाना काश! हमारा भी होता रे।
हम बंजारे।
हम बंजारे।
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