जो इधर था
जो इधर था वो उधर होने लगा।
मेरी आहों का असर होने लगा।
लब पे उनके अब हमारा नाम है,
मुख़्तसर अपना सफ़र होने लगा।
ईंट गारे का मकाँ था, घर न था,
तुम जो आए तो ये घर होने लगा।
बन गए हैं अब वो नेता देश के,
छींकना उनका ख़बर होने लगा।
हर किसी को अपनी-अपनी फ़िक्र है,
गाँव मेरा अब नगर होने लगा।
हम भी ''कौशिक'' पहले जैसे कब रहे
दिल हमारा भी खंडहर होने लगा।
9 मार्च 2007
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