स्वप्न में कल आई थी तुम।
भाल पर टिकुली लगाए,
हाथ में मेंहदी रचाए,
महावर से लाल रंग कर पद्म पदतल आई थी तुम।
स्वप्न में कल आई थी तुम।
भूषणों से तुम लदी थी,
लाल वसनों में फबी थी,
माँग में सिंदूर डाल आँखों में काजल आई थी तुम।
स्वप्न में कल आई थी तुम।
देखता मैं रह गया था,
रूप अनुपम-सा नया था,
झुकी-सी पलकें लिए लज्जा से बोझल आई थी तुम।
स्वप्न में कल आई थी तुम।
9 मार्च 2007
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