हम मछुआरे
हम मछुआरे।
हम मछुआरे।
लहरों के सीने को चीर चले जाते हैं
आँधी-तूफ़ानों से भी न घबराते हैं,
सागर का चप्पा-चप्पा हमने छाना रे।
हम मछुआरे।
हम मछुआरे।
सागर में कई-कई दिन तक रहना पड़ता है
गर्मी हो सर्दी हो सब सहना पड़ता है,
बिछ जाते हैं एक बार जब जाल हमारे।
हम मछुआरे।
हम मछुआरे।
थोड़े को ही बहुत समझना हमको आता
अतिथि न कोई अपने घर से भूखा जाता
अपनी बस्ती में न कोई अनजाना रे।
हम मछुआरे।
हम मछुआरे।
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