जाने क्यों
जाने क्यों ऐसा लगता है।
सब तेरे जैसा लगता है।
सच हर एक लगे है सपना,
सपना हर सच्चा लगता है।
हर बच्चा लगता है सयाना,
हर बूढ़ा बच्चा लगता है।
कोई नहीं पराया जग में,
सारा जग अपना लगता है।
दुनिया एक मंच है जिस पर,
जीवन का मेला लगता है।
"कौशिक" दु:ख करनी का फल है,
नाम मगर रब का लगता है।
24 दिसंबर 2004
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