हर सहारा
हर सहारा बेसहारा हो गया।
दिल हमारा पारा-पारा हो गया।
अपना दुश्मन हमको प्यारा हो गया।
हाल ये कैसा हमारा हो गया।
रात को इक गड़गड़ाहट-सी हुई,
और शहर का शहर सारा सो गया।
दर्द मेरा, ग़म तुम्हारा हो गया।
गोया जीने का सहारा हो गया।
जिसके मन में एक ही धुन आ गई,
आस्माँ का वो सितारा हो गया।
आग के दरिया में हम बहने लगे,
और लगा जैसे किनारा खो गया।
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