नवजीवन
नवजीवन तुमने दिया, प्रिये।
जीवन का अर्थ नया जाना,
जब मैंने तुमको पहचाना,
सागर मन को मेरे सरिता-सा चंचल तुमने किया, प्रिये।
नवजीवन तुमने दिया, प्रिये।
आशाओं ने करवट बदली,
हो गई दूर दु:ख की बदली,
गूंगी पीड़ा को भाषा दे, घावों को मन के सिया, प्रिये।
नवजीवन तुमने दिया, प्रिये।
मेरी आराध्य बनीं अब तुम,
साधक हूँ साध्य बनीं अब तुम,
अमृत भूला मैं जब मधु को तेरे अधरों के पिया, प्रिये।
नवजीवन तुमने दिया, प्रिये।
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