यह सुना है
यह सुना है कि तरसा किए देवता
झील झरना नदी इक चमन के लिए
हम अंधेरे की ख़ातिर उजाला बनें
दीन-दुखियों का भी हमनिवाला बनें
दम भी निकले हमारा तो ऐसा लगे
हँसते-हँसते ही निकला वतन के लिए
काल के गाल में भी रहे हौसला
ज़िंदगी भर करें हम सही फ़ैसला
काम ऐसा करें कि सितारा बनें
इस ज़मीं के लिए इस गगन के लिए
ज़िंदगी तो हमारी दुआओं में है
फूल पत्ती यहाँ की हवाओं में है
देश को हमने माता कहा इसलिए
इसकी मिट्टी है मरहम बदन के लिए
24 मार्च 2007
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