सुरों में, ताल में
सुरों में, ताल में, लय में सधा हुआ है वो
मेरे नसीब का हिस्सा बना हुआ है वो
किसी की हात में आना कभी न चाहेगा
मेरे वजूद को लेकर अड़ा हुआ है वो
मुझे महसूस होता है सुना उसको जहाँ मैंने
गुलों के रंग में, बू में बसा हुआ है वो
बुरी निगाह का उस पर असर नहीं होगा
मेरी दुआ में जो अक्सर बना हुआ है वो
उसी के दम से है 'घायल' मेरे जज़्बात की दुनिया
ग़ज़ल के शेर में नग-सा जड़ा हुआ है वो
१३ अक्तूबर २००८
|