वफ़ा का गीत
मैं वफ़ा का गीत गाना चाहता हूँ
पेड़ पौधों को सुनाना चाहता हूँ
आदमी तो है नहीं अब आदमी
इस ज़माने को बताना चाहता हूँ
बादलों की बदगुमानी देखकर
आसमानों को झुकाना चाहता हूँ
लुट चुके जो लोग हैं उनके लिए
प्यार की खुशबू लुटाना चाहता हूँ
हर तरफ़ रोड़े हैं गहरी खाइयाँ
राह में शमा जलाना चाहता हूँ
आँख के आँसू हैं मोती की तरह
सर्द आहों को बताना चाहता हूँ
चाँदनी को फिर लुभाने के लिए
घास पत्थर पर उगाना चाहता हूँ
आज घायल वादियों के ज़ख़्म पर
गीत का मरहम लगाना चाहता हूँ
24 जुलाई 2006
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