दिया है दर्द जो तूने
दिया है दर्द जो तूने दवा हो जाएगा इक दिन
सितम तेरा ये सच मानो दुआ हो जाएगा इक दिन
घिरा है मन के आँगन में उदासी का घना बादल
तेरे आने की आहट से फ़ना हो जाएगा इक दिन
ज़मीं पर ढूँढकर तुझको थकीं परछाइयाँ मेरी
पता तो था नहीं कि तू खुदा हो जाएगा इक दिन
भटक ती रूह के जैसा भटकता ही रहा हूँ मैं
यही तो फ़र्ज़ है मेरा अदा हो जाएगा इक दिन
हवाओं में भी है 'घायल' जो तेरी याद की खुशबू
उसी से इस ज़माने को पता हो जाएगा इक दिन
२४ मार्च २००८
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