आपसे कुछ कहें
आपसे कुछ कहें तो कहें किस तरह
बिन कहे भी रहें तो रहें किस तरह
आपसे जो मिले तो मिली बेखुदी
होश बाकी रहें तो रहें किस तरह
दर्द सीने में ग़ैरों का जमता गया
दर्द अपना सहें तो सहें किस तरह
छाँव में भी हमें धूप लगती रही
हम किसी से कहें तो कहें किस तरह
नाव खुशियों की सूखी नदी में खड़ी
मौज में हम बहें तो बहें किस तरह
आज घायल हुआ है जो नूरे वफ़ा
अब उजाले रहें तो रहें किस तरह
२४ मार्च २००८
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