अगर बढ़ेगी दिल की दूरी
अगर बढ़ेगी दिल की दूरी घर में घर बन जाएँगे
आँगन में भी आँगन होगा दर में दर बन जाएँगे
प्यार-मुहब्बत है तो दुनिया इस धरती पे जन्नत है
प्यार नहीं तो गुलशन के गुंचे ख़ंजर बन जाएँगे
पर्वत, खाई, राह में रोड़े हैं तो कोई बात नहीं
देखके हमको राह के रोड़े भी रहबर बन जाएँगे
आग उगलता है यह सूरज चाँद मगर मुस्काता है
हम भी जब मुस्कायेंगे तो घर मंदर बन जाएँगे
इस दुनिया में जहाँ कहीं लिक्खे जाएँगे अफ़साने
हम भी उन सारे अफ़सानों के अक्षर बन जाएँगे
आए हैं हम दूर से चलके 'घायल' आपकी महफ़िल में
दिलवालों की इस महफ़िल में हम दिलबर बन जाएँगे
१३ अक्तूबर २००८
|