यादों ने आज
यादों ने आज फिर मेरा दामन भिगो
दिया
दिल का कुसूर था मगर आँखों ने रो दिया
मुझको नसीब था कभी सोहबत का
सिलसिला
लेकिन मेरा नसीब कि उसको भी खो दिया
उनकी निगाह की कभी बारिश जो हो
गई
मन में जमी जो मैल थी उसको भी धो दिया
गुल की तलाश में कभी गुलशन में
जब गया
खुशबू ने मेरे पाँव में काँटा चुभो दिया
सोचा कि नाव है तो फिर मँझधार
कुछ नहीं
लेकिन समय की मार ने मुझको डुबो दिया
'घायल' वफ़ा के नाम पर अरमाँ जो
लुट गए
मुझको सुकून है मगर लोगों ने रो दिया
16 फरवरी 2006
|