सितम जिसने किया मुझ पर
सितम जिसने किया मुझ पर उसे अपना बनाया है
तभी तो ऐसा लगता है कि वो मेरा ही साया है
उदासी के अँधेरों ने जहाँ रस्ता मेरा रोका
तबस्सुम के चरागों ने मुझे रस्ता दिखाया है
कभी जब दिल की बस्ती में चली जज़्बात की आँधी
उसी आँधी के झोंकों ने ग़ज़ल कहना सिखाया है
भले दुनिया समझती है इसे दीवानगी मेरी
इसी दीवानगी ने तो मुझे शायर बनाया है
इसी दुनिया में बसती है जो रंगो नूर की दुनिया
नज़र आएगी क्या उसको जो घर में भी पराया है
मुझे इस लोक से मतलब नहीं उस लोक से 'घायल'
मुझे उस नूर से मतलब जो इस दिल में समाया है
16 फरवरी 2006
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