मोहब्बत की कसक
जिसमें नहीं है
मोहब्बत की कसक जिसमें नहीं वो आदमी क्या है
किसी की ज़िन्दगी में ग़म नहीं तो ज़िन्दगी क्या है
किसी की याद में खोकर जो अक्सर आईना देखे
उसे महसूस क्या होगा किसी की बेख़ुदी क्या है
दिलों की बात जबसे आँख में पढ़ना हुआ मुश्किल
पता चलता नहीं कि दोस्ती क्या दुश्मनी क्या है
अमीरी मोम से इंसान को पत्थर बनाती है
उसे मालूम क्या होगा किसी की बेबसी क्या है
किसी को देखकर हँसता हुआ जो हँस नहीं सकता
समझ पाती नहीं दुनिया कि उसकी नाख़ुशी क्या है
क़सम खाकर भी जो 'घायल' क़सम को तोड़ देते हैं
पता उनको नहीं होता कि नेकी क्या बदी क्या है
१९ मार्च २०११
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