उदासी के समंदर को
उदासी के समंदर को छुपाकर मन में
रख लेना
किसी की बद्दुआओं को दुआ के धन में रख लेना
हज़ारों लोग मिलते हैं मगर क्या
फ़र्क पड़ता है
निगाहों को जो भा जाए उसे दरपन में रख लेना
मुहब्बत रोग है दुनिया समझती है
समझने दो
कलेजे से लगाकर तुम उसे धड़कन में रख लेना
पड़ोसी से छुपा लेना हँसी अपनी
खुशी अपनी
नहीं तो पाँव खींचेगा इसी से मन में रख लेना
किसी भी बात पर तुमसे खफ़ा जब
चाँद हो जाए
जलाकर एक नन्हा-सा दीया आँगन में रख लेना
वफ़ा की राह में 'घायल' ज़माना
आग जब उगले
दुआओं की तरह उस आग को दामन में रख लेना
16 फरवरी 2006 |