पहलू में उनके
पहलू में उनके देर तक रहते न बन सका
उनसे ज़रा-सी बात भी करते न बन सका
पीते रहे वो आँख से मेरे जिगर का दर्द
आँसू को उन हालात में बहते न बन सका
कुछ तो रहीं मजबूरियाँ कुछ तो लिहाज़ था
कुछ दूर तक भी हमसफ़र बनते न बन सका
लौटा जो उनको छोड़कर जो मैं नहीं था "मैं"
मुझसे पखेरू की तरह उड़ते न बन सका
उनकी छुअन 'घायल' मुझे ख़ुशबू जो दे गई
ख़ुद को कभी उनसे अलग करते न बन सका
१८
फरवरी २००८
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