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बंधु, हमारी
नये वर्ष की यही दुआएँ
1
शाहों को सन्मति दे मौला
परजा के सब कष्ट दूर हों
बरकत हो घर में - आपस में
नेह-प्यार के फिर शऊर हों
1
रामराज की बातें
सब जन सुनें-सुनाएँ
अपनी माटी रहे उर्वरा
नहीं संपदा हो उधार की
सारी धरती एक कुटुम हो
मति-गति होवे सदाचार की
1
भरे रहें घर -
प्रभुजी काटें सब विपदाएँ
सपना देखा था पुरखों ने
कोई रहे न भूखा-नंगा
जात-धरम है एक मनुज का
सोच यही हो - मन हो चंगा
कभी न व्यापें
पिछले युग की हमें बलाएँ
1
- कुमार रवीन्द्र
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