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मना रही नववर्ष लाडली
 
वही पुरानी चप्पल पहने
उसी घिसे उधडे स्वेटर में
मना रही नववर्ष लाडली

ढेर लगे बर्तन धोने को
पानी गर्म मिला तो खुश है
फटा हुआ दीदी का कुरता
माँ ने बैठ सिला तो खुश है

घूम घूम कर कोने कोने
नयी फिनाइल की खुशबू से
पोंछ रही है फर्श लाडली

केक चौकलेट गुब्बारों के
बीच भला उसको क्या लेना
मिला हुआ बासी हलवा भी
घर जा कर अम्मा को देना

नए वर्ष की नयी धूप के
धवल पृष्ठ पर स्याह कलम से
लिखती है संघर्ष लाडली

बचपन मत छीनो बच्चे से
गरमा गरम बहस टी.वी. पर
भोले मन से रुक रुक सुनती
फूली रोटी परस परस कर

कथनी करनी के अंतर को
देख देख़ कर सोच रही है
मिथ्या बाल विमर्श लाडली

- संध्या सिंह  
१ जनवरी २०१८

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