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नये वर्ष की नई भोर
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नये वर्ष की नई भोर में सब
मिल नृत्य करें
जग में कोई नही किसी का-कथन असत्य करें !
भवन ढहा दें जर्जर सारे
अभिमानों के हम
जोड़ें सेतु नवल स्वर्णिम फिर
सम्मानों के हम
गहें प्यार से हाथ सभी का,अभिनन्दन सबका,
हर्ष और उत्कर्ष बिखेरें, अभिनव कृत्य करें !
सींचे नेह- नीर से वसुधा
पावन सुख पायें
बोयें बीज दया करुणा के
तो प्रभु मिल जाएँ
जहाँ दंश देखें जीवन के, श्लथ-पग सहला दें,
करे मनुजता गर्व कि सेवा बनकर भृत्य करें !
चुने हर्ष के सुमन नित्य हम
पल पल मुस्कायें
पतझर नही लौटकर आये
ऐसे दिन लायें
कथा अयाचित संघर्षों की अनगिन दुख देती
अमित नवल आनन्द, प्रीति को क्यों न अमर्त्य करें !
- विश्वम्भर शुक्ल
१ जनवरी २०१८ |
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