अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

नवल वर्ष
 
 
नव विचार
नव चिन्तन लाया
नवल वर्ष !

नवल भोर
अपने सँग लायी
नवल रीति
प्रबल प्रेम
पाकर पनपी है
परम प्रीति

नव विहान
छँट गयी तमिस्रा
नवल दर्श!

सहज ध्यान
आलोकित अन्तस
सजग दृष्टि
सतत ज्ञान
आलोड़ित मानस
सुघड़ सृष्टि

नव वितान,
धरती पर छाया
नवल हर्ष!

- राजेन्द्र वर्मा 
१ जनवरी २०१८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter