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समय मदारी
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उपहारों की बाँध पिटारी
लाँघ के पर्वत मार उडारी
नए बरस की अँगुली थामे
आएगा अब समय मदारी
सुख की किरणें, धूप हास की
नेह चाँदनी, भोर आस की
केसर चंदन, गंध-ख़ुमारी
छिटकेगा अब समय मदारी
गठरी में कुछ रंग भी होगे
सावन-भादों, फागुन होंगे
छंद गीत ले बैठ अटारी
गाएगा अब समय मदारी
क्या भोगा क्या पाया हमने
जोड़ा और गँवाया हमने
लेखा-जोखा लिख पटवारी
बाँचेगा अब समय मदारी
बीते कल की बात पुरानी
नई सुबह की नई कहानी
नई साँझ, रातें उजियारी
बाँटेगा अब समय मदारी
- शशि पाधा
१ जनवरी २०१८ |
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