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नव वर्ष का स्वागत
 
धरो कुछ पीत अक्षत द्वार
मंगल गीत अब गाओ
करो नव वर्ष का स्वागत
जलाओ दीप सब आओ

गई जो बात गत के गर्त में
कब तक उसे ढोयें ?
"नहीं बदला अभी तक कुछ"
भला कब तक इसे रोयें
नया हर पल, नया हर दिन
नया हर साल होगा तुम
उठो जागो करो कोशिश कि
जो चाहो बदल पाओ

धुले से श्याम पट जैसा
नया यह वर्ष है ख़ाली
लिखें ऐसी ऋचाएँ हम
नहीं जो भूलने वाली
लिखें शुभ कर्म के अक्षर
तिलक से भाल पर इसके
निरी तिथियाँ नहीं नव वर्ष
गिनकर भूल सब जाओ

नहीं सरगम बदलती पर
नये कुछ गीत तुम रच दो
करें कल्याण जो मंगलचरण
कुछ मीत तुम रच दो
समूचे विश्व का उत्थान हो
वह मंत्र उच्चारो
नई सौगात से भर दो
नये संकल्प दोहराओ

करो नव वर्ष का स्वागत
जलाओ दीप सब आओ
धरो कुछ पीत अक्षत द्वार
मंगल गीत अब गाओ

- सीमा हरि शर्मा    
१ जनवरी २०१८

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