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 नये बरस की राम राम जी
 
 
कमर कसो और करो आज -
कुछ भले काम जी !
नये बरस की राम राम जी !

बहुत बरस हो गये ग़ुब्बारे -
रंग बिरंगे
रहे खेलते हम नफरत औ'-
दंगे दंगे

अब कुछ अच्छे कामों में -
भी करो नाम जी !
नये बरस की राम राम जी !

धूप झोपड़ी के हक़ वाली -
उसे सौंप दो
हर क्यारी में खुशबू वाले -
बीज रौंप दो

मेहनतकश को दो अब श्रम -
का सही दाम जी !
नये बरस की राम राम जी !

राजनीति के सारे गंदे खेल -
बिगाड़ो
राजा के बहरे कानों पर -
चीख़ो, फाड़ो

तबतक ना हो भ्रष्टों का -
अन्तिम विराम जी !
नये बरस की राम राम जी !

कृष्ण भारतीय  
१ जनवरी २०१८

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